सदान और आदिवासी (कोल) मनकर बीच सन् 1831 कर कोल विद्रोह होवेक कर मुख्य कारण-
छोटानागपुर कर सदान समुदाय
छोटानागपुर और आस पास कर क्षेत्र, जेके ऐतिहासिक रूप से झारखंड कर नांव से जनाल जायला, ब्रैडली बर्ट कर आनुसार 'सम्राज्य कर एक छोट ज्ञात प्रांत हय छोटानागपुर'। इ क्षेत्र कर मूलवासी भूमिपुत्र जे आदिवासी (St/जनजाती) न लगाएं और जे कम ज्ञात और स्वीकृत अहयं उ जाईत गोष्ठी ही "सदान" कहलाएना। सदान धार्मिक आधार से प्रचीनतम हिंदु समुदाय हेकयं। सदान मन समुदायिक रूप से रहत रहयं आउर आदिवासी मन कबीलाई रूप से रहत रहयं।
झारखंड में अनुसूचित जनजाती यानी आदिवासी कर बाद विभिन्न जाती कर जे एक समुदाय हय, जे आदिवासी मनकर संग ही गांव मन में हमेशा से मिल जुइल के रहते आवत आहयं उहे समुदाय कर लोग मनक समुदाय ही "सदान" हेके। सदान इ क्षेत्र कर पुरना मूलवासी हेकयं। सदान समुदाय ठीन एक समृद्ध परंपरा, संस्कृति और इतिहास है। जे भाषा सदान मनक हेके उके सदानी भाषा भी बोलल जाएला। सदानी कर दोसर नांव है सदरी, सादरी, नागपुरी। पंचपरगनिया, खोरठा, कुर्माली मातृभाषी मन भी सदान हेकयं। सदान मनक संस्कृति और रंगरूप प्रोटो-ऑस्ट्रोलाइड, द्रविड़ और आर्य परंपरा कर एक अद्भुद मिश्रण अहे।
ब्रिटिस काल में आदिवासी और सदान दुइयो समाज के आपन आजादी से हाथ धोवेक पइड़ रहे। उहे ले दुइयो समाज आपन सउब शक्ति कर जोरदार परजोग कइर अंग्रेजी शासन कर भयंकर रूप से विरोध करलैं। मुदा दुश्मन शक्ति कर आगे उनकर सैनिक बल कर आगे आदिवासी और सदान दुइयो कमजोर रहलैं। फिर भी दुइयो समाज आपन आजादी और स्वाभिमान के बनाए रखेक कर कोशिश करत रहैं। सदान और आदिवासी कर एकता के तोड़ेक ले अंग्रेज मन 'फूट डालू राज करू' कर नीति अपना लैं। इकर से 'दिकु' शब्द कर प्रकृति और सरल आवधारना बदइल गेलक। झारखंड कर आदिवासी मन ले दिकु बाहरे से आवल मुगल, पंजाबी, अंग्रेज इत्यादि मन रहैं। लेकिन अंग्रेज मन फूट डाइल के राज करे कर नीति अनुसार 'दिकु' शब्द के धीरे धीरे सदान मन बट मोइड़ देलैं आउर तभी सदान मनक मातृभाषा के आदिवासी मन दिकुकाजी नाम देई रहयं। दिकु कर इ नवा आवधारना झारखंड में विनाश करलक 1831-1833 कर प्रसिद्ध कोल विद्रोह कर रूप में, इ विद्रोह में आदिवासी मन और सदान मन एक दोसर कर उपरे क्रूरता से हमला करलैं।
आदिवासी और सदान में फूट डालेक कर नीति अंग्रेज मनकर सुपट काम करलक और आदिवासी मन कोल विद्रोह करलैं सदान मनकर विरूद्ध में।
हाल कर शोध से इ साबित होवेला कि ऐतिहासिक रूप से सदान विभिन्न कबीला मनक और नाग-जाती व्यापक समूह कर स्थानीय प्रतिनिध हेकैं। किन्नर, गंधर्व, यक्ष, कोल और किरात कर तइर ही नाग-जाती भी प्रचीन भारत कर एक प्रजाती हेके। दुर्भाग्य से उनकर इतिहास जे भारत कर इतिहास कर एक प्रमुख और बहुमूल्य आध्यय हेके, उ हेराए गेलक। इ क्षेत्र में पर्याप्त पुरातत्विक सबूत अहे, जे साबित करेल कि नाग-जाती (सदान) समूह लोग शिव, विष्णु, दुर्गा, राम, कृष्णा, सुर्य, बुरू बोंगा (पहाड़ आत्मा), ग्राम देवता और विभिन्न देवी देवता मनक पुजा पाठ करत रहैं। सदान समुदाय कर लोग मन आदिवासी मन से मिलके करम, सरहुल, जितिया, सोहराई और मंडा पर्व मनाएना। सदान मनक संस्कृति प्रोटो-ऑस्ट्रोलाइड, द्रविड़ और आर्य कर एक समिश्रण रूप अहे।
सदान मनक जीवन जीयेक कर आपन तरीका अहे, जे इ क्षेत्र कर आदिवासी और मैदानी इलाका कर आर्य मन से थोड़ेक अलग है।सदान समुदाय कर लोग मन में आदिवासी और आर्य दुइयो संस्कृति कर तत्व शामिल अहे। एइसन ओहेले अहे कि सदान इ बेल्ट कर एक अलग समाजिक-आर्थशास्त्रीय प्रणाली से बंधल रहैं। सदान समाज बहुत कुछ आदिवासी समाज से सिखलैं और आदिवासी समाज भी सदान समाज से बहुत कुछ सिखलैं।
#नोट:- सदान समुदाय (नागवंशी, रौतिया, राजपुत, झोरा, तेली, अहीर, गोसाई, घांसी, कुम्हार, भुंईया, रविदास इत्यादि एइसन कुल 18 से 20 सदान जाती गोष्ठी आहयं ), सदान जेके नागपुरी समुदाय से भी जनाल जाएला, सदान समुदाय एक हिंदु समुदाय हय आउर हिंदु समुदाय में जाती वर्ण व्यवस्था होवेक कर कारण सदान समुदाय में दलित से लेई के क्षत्रिय, ब्रह्मण ( संवैधानिक वर्गीकरन कर रूप से sc, Obc, Gen Category में अहयं) तक अहैं आउर आदिवासी यानी जनजाती मनक आपन अलग वर्ग आहे जेके अनुसूचित जनजाती या आदिवासी वर्ग (St/ Schedule of Tribal Caste) कहैना । सदान मन में ऑस्ट्रो-प्रोटोलाइड, द्रविड़ और आर्य कर मिश्रण होवेक कर कारण रंग रूप सदान और झारखंड मूल कर आदिवासी दुइयो समूह कर लोग मनक एक तइर ही अहे।
झारखंड छत्तीसगढ़ और उड़ीसा कर अलावा असम, बंगाल कर तराई-डुवार्स, नेपाल, बंगलादेश आदि पूर्वोत्तर क्षेत्र में ब्रिटिस काल में सदान मन गेलैं और अब इ क्षेत्र मन कर मूलनिवासी हेकैं। और एहे उ कारण है कि सदान मनक मातृभाषा सदानी यानी सादरी (नागपुरी) कर उपस्थिति इ सउब क्षेत्र में अहे। जिस क्षेत्र जगह लइल हमार सदान मनक उपस्थिति नखे यानी सदान समुदाय कर नखयं उ लइल कर आदिवासी जाइत समुदाय वाला मन सदान मनक सादरी के न समझेन आउर न ही बोलेक पारेन। झारखंड मूल कर आदिवासी मन सालो से सदान मनकर साथ रहते आओ थयं से ले सदान बोली भाषा सिख गेलयं सदान मनक बोली भाषा बोलैना, असम अउर बंगाल कर तराई-डुवार्स सदान बहुल इलाका हेके से ले इ सब क्षेत्र इलाका लइल सदान बोली भाषा गूंजा थे।
लेकिन कुछ सालो से देखल जा थे कि असम बंगाल में आदिवासी संगठन कर कुछ तथाकथित नेता मन आपन राजनीति फायदा ले भाषायी राजनीति खेल खेले लइग हयं आउर सदान मनक अस्तित्व मिटाए के सदान मनके गुमराह कइर के आदिवासी संगठन ले भीड़ दलबल हमेशा जुटाए रहेक चाहेन, अगर सदान मन आपन अस्तित्व जइन जबयं तो आपन भाषा संस्कृति कर साथ छेड़छाड़ सदान मनक अस्तित्व कर साथ छेड़छाड़ कर विरोध जरूर करबयं तब सदान मन आपन संठन बनाए के आपन अस्तित्व आपन भाषा संस्कृति कर संरक्षण ले लड़बयं न कि सदान मन आदिवासी कर अस्तित्व ले। आउर एहे उ कारण हय कि आदिवासी संगठन वाला मन सदान मनके बेवाकुफ बनाए के सदान मनक मातृभाषा सदानी यानी सादरी (नागपुरी) के आदिवासी मनकर भाषा बताए के झूठा प्रचार करैना, आदिवासी संगठन वाला मनकर मकसद हमार सदान मनक अस्तित्व के हमेशा ले मिटाए देक ताकि सदान मनके आदिवासी बताए के आदिवासी संगठन कर नेता मन खूब लाभ लेते रहबयं आउर सदान मन खुद के आदिवासी बताए के सिर्फ आदिवासी मनक संख्या में बढ़ोतरी होवी जेकर फायदा सिर्फ आदिवासी मन ले मिली सदान मनले नहीं। का ले कि सदान.. सदान हेकयं,,, आदिवासी (जनजाती) नहीं। भाषा संस्कृति ही पहचान होवेला कोनो भी जाईत समुदाय कर ... जइसन- बंगला से बंगाली समाज, नेपाली से नेपाली समाज, असमीया भाषा से असमीया समाज इत्यादि... से लखे सदानी (सादरी ) से सदान होवेल, लेकिन आदिवासी संगठन कर कुछ तथाकथित आदिवासी नेता मन आपन राजनीति फायदा ले सदान मनकर मातृभाषा के आदिवासी मनकर भाषा बताए के झूठा प्रचार करैना,,, ताकि इकर से सदान मन आपन असल पहचान अस्तित्व के न जानोक आउर खुद के आदिवासी समइझ आदिवासी संगठन के सपोर्ट करोक,,, सदान मनके गुमराह करेक कर चक्कर में आदिवासी नेता मन इ भुलाए गेलयं कि उ मनक आपन आदिवासी मन भी बहुत ज्यादा गुमराह होई गेलयं आउर आपन आपन मातृभाषा के भुलाए जा थयं आदिवासी मनकर भाषा बहुत तेजी से लुप्त होई जाथे।
आदिवासी मनक भाषा संस्कृति विशेष ही एक आदिवासी (जनजाती) जाईत कर आदिवासीयत के बताएल आउर तभी उ जाइत के आदिवासी जाईत मइन के आदिवासी वर्ग में रखल जाएल,,, आदिवासी यानी जनजाती मनक एक केंद्रीय कमिटि हय लोकूर कमिटि आउर लोकुर कमिटि कर मापदंड कर हिसाब से जितना भी आदिवासी (st groups) ग्रुप आहे तराई डुवार्स में उ मनकर आदिवासियत रद् कइर देल जाई,, का ले कि तराई डुवार्स में रहे वाला 95% आदिवासी (st/ जनजाती) मन आपन आपन मातृभाषा भुइल जाहयं आउर सदान मनक सादरी के ही बोलैना,,, सादरी सदान मनक मातृभाषा हेके सदान हिंदु समुदाय हेके आउर सादरी (नागपुरी) आर्य परिवार कर भाषा हेके।
आदिवासी संगठन कर नेता मन आपन आईज कर फायदा ले सदान मनक मातृभाषा कर साथ राजनीति कइर के सदान मनके गुमराह कइर के उ मन खुद आपन आदिवासी मनके गुमराह करा थयं,,, एइसन न हो कइल लोकुर कमिटि कर क्षानबीन शुरू होई जाई आउर बहुत आदिवासी जाईत मनके आपन आदिवासीयत से हटाए देल जाई आउर इकर एक मात्र कारण भाषा होवी। सेले आदिवासी भाई मन से भी निवेदान हय कि हमार सदान मनक मातृभाषा के बोइल देने से उ आदिवासी मनकर नी होई जाई,,, सदान मन जिंदा आहयं। राउरे मन आपन आपन आदिवासी भाषा के बचाऊ तभी राउरे मन आपन आदिवासीयत के बचाएक परब।
(सदान समुदाय कर शोधकार्ता डॉ. बी.पी केशरी जी कर अंग्रेजी किताब "कल्चरल झारखंड" से संपादित प्रस्तुति)।
नागपुरी (सदानी/सादरी) अनुवाद सदान पीपल्स टीवी बट ले।
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